Friday, March 5, 2010

डूबिए..उतराइए

ये सुनिए। सुन कर डूब न जाएं तो कहिए।...और फिर तैर कर बाहर आने का रास्ता मिले, तो प्रतिश्रुति को भी बताएं...

यहां क्लिक करें

2 comments:

M VERMA said...

खूब डूबे खूब उतराये

Udan Tashtari said...

वाकई डूब गये...सुन्दर गज़ल..

यहां रोमन में लिखें अपनी बात। स्पेसबार दबाते ही वह देवनागरी लिपि में तब्दील होती दिखेगी।